श्री साईतीर्थम | आज्ञा : सेवा

भजन उप समिति

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बाबाजी का कहना है की भारत के “भ” से भाव, “र” से राग तथा “त” से ताल बनता है | भाव, राग, ताल युक्ता भजन भारत में होता है अर्थात भारत की आत्मा भजनों में बस्ती है | भगवान् और गुरु ज्ञान, विज्ञान, योग, जप, ताप, मंत्रो में नहीं रीझते | उन्हें मात्र भजन के द्वारा ही मीरा, तुलसी, सूर, रैदास, नरसिंह मेहता इत्यादी प्रभवि संतो ने रिझाया था, अपना बनाया था | अतः भगवान् की रिझाने के साथ साथ भारत व उसकी आत्मा की सेवा करने के लिए पारिवारिक, साप्ताहिक संस्थागत तथा सार्वजनिक स्थलों पर सशक्त एवं सुचारू रूप से भजनों की एकाइयॊ को संचालित करने के लिए गायकों को प्रशिक्षित करने हेतु भजन उपसमिति की स्थापना की है |



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