श्री साईतीर्थम | आज्ञा : सेवा

श्री आदिगुरू चरनोद्भव कवच

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आज के इस भौतिकवादी बहिर्मुखी सभ्यता के दौर में अपनी पहचान बनाये रखने की नाकाम कोशिशो की आपाधापी पूर्ण अति व्यस्त जिंदिगी जीने को मजबूर इंसान, जिसकी समस्त चेतन व शारीरिक शक्ति का निचोड़ बमुश्किल दो समय की रोटी, सर पर चाट व तन पर कपडा मात्र रह गयी है | ऐसे दौर में अधकचरी विरासत अपना असर व महत्त्व बहुत हद तक खो चुकी चुकी सी महसूस हो रही है | मानव अन्य जीवो से उसको श्रेष्ठ सिद्ध करने वाले “मानवीय मूल्यों” को बचाए रखने में असमर्थ हो रहा है | समयाभाव या अथाभाव के कारन अपनी सांसारिक व आध्यात्मिक समस्याओं के समाधान हेतु लम्बे-लम्बे अनुष्ठान इत्यादि करने में असमर्थ उत्पीड़ित मानव की पीड़ा को महसूस कर पूज्यपाद साई दास बाबा ने श्री आदिगुरू चरनोद्भव कवच का सृजन किया जिसमे अपनी योगिक व आध्यात्मिक शक्ति व भक्ति के बल पर उन समस्त दिव्या शक्तियों का आवाहन कर उन्हें सरल हिंदी के सुगम्य गोहो में निरुपित कर दिया है | इसके पाठ व अनुष्ठान की विधि को भी सरल कर दिया है |

अन्य किसी भी पूजा या अनुष्ठान के पहले व बाद में विभिन्न प्रकार के सास्त्रोक्त पुण्य वाचन व अन्य कर्मकांड करने पड़ते है, पर संत शिरोमणि श्री साई दास बाबा के ही शब्दों में “श्री आदि गुरु चरनोद्भव कवच के पुण्य वाचन (देवताओ से प्रार्थना व नमस्कार) गुप्त रूप से विद्यमान है | कोई भी साधक, योदी, सिद्ध, ग्यानी, आर्ट, अथार्थी, जिज्ञासु, चाहे वो किसी भी धर्म, संप्रदाय को मानने वाला क्यों न हो, जैसे ही वो कवच पढना शुरू करेगा वैसे ही कवच में निहित समस्त दिव्या शक्तियां आकर उसके चारो तरफ कवच का निर्माण कर देंगी | उसे समस्त प्रकार के भयों से मुक्त कर उसका अभीष्ट (श्रेय, प्रेय) फल उसे प्रदा कर देंगी एक उसे निर्दोष बना देंगी | सिर्फ कवच के अभ्यास की आवश्यकता है | कोई कितना भी नास्तिक, विद्वान्, ग्यानी क्यों न हो, यदि उसका उद्देश्य सत्य का है तो ऐसा हो ही नहीं सकता की कवच पड़ने पर उसके अन्दर से सत्य प्रकट न हो | नित्य प्रति जितना आप कवच का पाठ करेंगे पूर्व जन्मार्जित, वर्तमान, कर्म, प्रारब्ध, कर्म के दुष्प्रभाव क्षीण होती चली जाएगी | धर्म, रूप, सम्प्रदाय की भिन्नताओ को एकात्त्मकता के सूत्र में पिरो कर श्री आदि गुरु चरनोद्भव कवच की रचना की गयी है | शिशु के क्रंदन और माँ की करुन में जो भावना निहित होती ई उसी से भावित होकर  इस कवच का पाठ करने का पाठक की समस्त सांसारिक व आध्यात्मिक समस्याओ का समाधान हो जायेगा |”

पूज्य गुरुदेव के उपरोक्त दिव्या वचन का आश्वासन का रसास्वादन भारत व विश्व के अनेक राष्ट्रों में लोग अनुभव कर धन्य हो रहे है, एवं कवच का पाठ करने मात्र से उनकी समस्त इक्छाए पूर्ण हो जाएँगी |



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