श्री साईतीर्थम | आज्ञा : सेवा

बाल कूटस्थ परिषद् 

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भारतवर्ष को भविष्य वे विश्व का आध्यात्मिक प्रतिनिधित्व करना है | इस बात को दृष्टिगत रखते हुए  बाबा जी का कहना है की भविष्य में भारत की सुद्रढ़ नीव 5 से 12 वार्स के बच्चे – बछियो में ध्यान दीक्षा के माध्यम से सुसंस्कारो का बीजारोपण दिव्य – दृष्टि के माध्यम से ही कर सकते है | जो की बच्चे का सर्वांगीण विकास करते हुए उन्हें एक सुद्रढ़ एवं सक्षम पूर्ण व्यस्क के रूप में निखर देगी | बाबा जी का कहना है की यही वो समय है जब बच्चो का कूटस्थ (भृकुटी के मध्य का स्थान) को खोल कर आत्मगुरु को जगाया जा सकता है | इस विभाग का नाम बाबा जी ने बाल कूटस्थ परिषद् रखा है | इसके अंतर्गत संचालित बाल कूटस्थ कक्षाओं में बच्चो को विभिन्न धर्मो, गीता, रामायण, महाभारत के आलावा महापुरुषों, संतो की जीवनी की शिक्षा दे कर उनमे सदाचरण, प्रेम, अहिंसा, शान्ति एवं सत्य आदि मूल्यों का बीजारोपण किया जाता है |



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