श्री साईतीर्थम | आज्ञा : सेवा

भगवान् श्री सत्य साई बाबा 

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शिर्डी के साई बाबा की घोषणा – मैं 8 वर्षो बाद पुनः आऊंगा, के अनुसार  भगवान् श्री सत्य साई बाबा का अवतरण दक्षिण भारत में आन्ध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के ग्राम पुट्टपर्ती में भरद्वाज गोत्र में जन्मे श्री वेंकप्पा राजू व श्रीमती इश्वार्म्मा के घर 23 नवम्बर सं 1928 को हुआ | शिशु के जन्म के साथ घर में रखे वाद्य अपने आप ही बजने लगे तथा एक लम्बे काले सर्प ने शिशु का पालना झुला के ये सिद्ध कर दिया की ये दैविक बालक है | बालक का नाम माता पिता ने सत्यनारायण रखा |

23 मई सं 1940 में आपने ये घोषणा की की “मैं ही शिर्डी का साई बाबा हूँ और मेरे भक्त मुझे बुला रहे है” | और अंततः 14 वर्षा की अवस्था में 20 अक्टूबर  सं 1940 को गृह त्याग कर धर्म संस्थापना के अपने अवतार कार्य की शुरुआत की | एक बगीचे में शिला पे बैठ कर संपूर्ण मानव जाती की चेतना शक्ति “मानस” का आह्वान कर पहला सन्देश एक भजन – “मानस भज रे गुरु चरणं, दुस्तर भाव सागर तरणं” के रूप में दिया |

आपका कहना है की राम काल में एक रावण था और कृष्णकाल में एक कंस था किन्तु आज प्रत्येक मनुष्य के मानस में रावण और कंस है अतेव वध करने के बजाये संपूर्ण मानव जाति के मानस में रामत्व और कृष्णत्व की स्थापना कर दूंगा | अपने इस अवतार कार्य को पूरा करने के लिए सेवा एवं नाम संकीर्तन  को अपनाया है | इसलिए आज विस्वा के कोने कोने में साई सेवा समितियों में हिंदी में लिखे भजन गाये जा रहे है तथा समाज के हर संभावित शेत्र में दुखी, दरिद्र, तिरस्कृत लोगो के बीच सेवा कार्य किये जा रहे है तथा भविष्य के राष्ट्र निर्माण के लिए बछो को मानवीय मूल्यों की शिक्षा पूर्ण वैज्ञानिक तरीके से दी जा रही है | भगवान बाबा ने आन्ध्रप्रदेश के समूचे अनंतपुर जिले में पीने के पानी की व्यवस्था अपने केंद्रीय ट्रस्ट से करवा कर एक अनुकरणीय उदाहरण सामने रखा है | आपने पुट्टपर्ती तथा बैंगलोर में अरबो रुपियो की लगत से अन्त्याधुनिक अस्पताल बनाये बनवाए जहाँ पर समाज के हर वर्ग के व्यक्ति का इलाज़ यहाँ तक के ह्रदय एवं गुर्दे की समस्त प्रकार की शल्य क्रिया भी पूर्णतः निशुल्क की जाति है |

शिक्षा के शेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए आपने पुट्टपर्ती में एक विश्वविद्यालय Shri Sathya Sai Institute of Higher learning की स्थापना की है जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को हर प्रकार के विषयों की पूर्ण जानकारी प्रदान करने के साथ उनमे सुसंस्कार का बीजारोपण कर उनके सुधढ़ चरित्र का निर्माण किया जा रहा है | आपका कहना है की वह “जो शिक्षा मनुष्य के चरित्र का निर्माण नहीं करती वह न केवल अनुपयोगी है वरन विनाशकारी भी है” | आपका मानवता के लिए एक ही सन्देश है – “मस्तिष्क रहे वन में, हाथ रहे समाज के सेवा कार्य में ” |

 दिनाक 24 अप्रैल 2011 दिन रविवार प्रातः 7  बजके 40  मिनट पर आपने अंतिम सांस ली और शाश्वत सत्य में विलीन हो गए | क्षेइ सत्यसाई बाबा  ने भले ही देह त्याग दिया है किन्तु वे आज भी है और सदैव ही रहेंगे | भक्त उन्हें आज भी भगवान् की भांति मान रहे है | अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासा का समाधान प् रहे है | उन्हें देह त्यागने के उपरान्त पुट्टपर्ती में “साईं कुलवंत” हाल, जहा बाबा दर्शन देते थे, उसी जगह अति सुन्दर भव्य समाधि स्थल का निर्माण हो गया है |

“मैं धरती पर आपके दिल में प्यार और सद्भाव का दीप जलने आया हूँ | मैं किसी धर्म के लिए नहीं आया, किसी को भक्त बनाने नहीं आया, मैं तो प्यार का सन्देश फ़ैलाने आया हूँ | मेरा उद्देश्य मानव जाति का कल्याण और धर्म निरपेक्ष समाज की स्थापना करना है |”

– श्री सत्य साई बाबा



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