श्री साईतीर्थम | आज्ञा : सेवा

श्री साईतीर्थम | आज्ञा : सेवा

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guruji

सन्देश

ये आश्रम सबका है क्योंकि “सबका मालिक एक है” | इस आश्रम में सबका स्वागत है | चाहे वो हिन्दू हो, मुस्लमान हो, सिख हो, इसाई हो, किसी भी धर्म का हो, किसी भी वर्ग का हो, किसी भी रंग का हो, किस भी प्रान्त का हो, उसे उसके धर्म के अनुसार सुसंस्कार प्रदान किये जायेंगे तथा उन्हें प्रेम की भाषा सिखाई जाएगी | मानव में ही माधव छुपा हुआ है | भविष्य में साई कृपा से उसका मधात्व प्रकट होगा |

सन्देश

वर्तमान शिक्षा रावण की शिक्षा के सामान है जिसे प्राप्त कर रावण ज्ञानवान, बलवान, नीतिवान, धनवान, यशवान बनकर त्रिलोक पर शासण करता रहा, किन्तु चरित्रवान नहीं बन सका इस लिए मारा गया | इस पद्धति में शिक्षित मानव ज़ाती जहाँ भौतिक विकास की ओर अग्रसर है वही उसकी चारित्रिक अवनति हुई है और उसके नैतिक मूल्यों का ह्रास हुआ है | इसलिए “साई तीर्थम” आश्रम समस्त वैदिक और देवी विधाओं एवं शक्तियों का आवाह्न कर रहा है | जिससे मानव ज़ाती चरित्रवान बन सके | आश्रम निर्माण और चरित्र निर्माण साथ साथ होना है अतः बाल संस्कार द्वारा अपनी संतान को सुसंस्कृत करे ताकि वे विश्व के आध्यात्मिक क्षितिज पर भारत के दैदीप्यमान नक्षत्रो के रूप में स्थापित हो सके | 

सन्देश

ध्यान का मूल आधार है – गुरु मूर्ति 

पूजा का मूल आधार है – गुरु चरण 

मंत्र का मूल आधार है – गुरु वाक्य 

मोक्ष का मूल आधार है – गुरु कृपा

श्री साईदास बाबा



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